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सब ठीक तो है.. यही पशु ते पंछी पूछ रहे...

सब ठीक तो है.. यही पशु ते पंछी पूछ रहे...


इंसान इतना भयभीत क्यु हैं।
राहें खाली खाली वे।।
ये पशु ते पंछी पूछ रहे।
पीछे फूल की हर डाली वे।।

सब ठीक तो है..
यही पशु ते पंछी पूछ रहे...

क्यू लोग दरवाजे नी खोल रहे।
ना ही एक दूजे नाल बोल रहे।।
ये दूरियां क्यू इंसानों के बीच
ये पशु ते पंछी ये पूछ रहे।।
सब ठीक तो हैं..
यही पशु ते पंछी पूछ रहे...

बाग ते ना कोई फूल टूट रहे।
ना ही पत्तियां नू कोई तोड़ रहे।।
मुरझाने को है हर फूल यह तो।
हम भी राह इंसान की देख रहे।।

सब ठीक तो हैं..
यही पशु ते पंछी पूछ रहे...

सुन्ना सुन्ना आसमान देख।
पंछी भी ये सोच रहे।।
कुछ ता कमी है इस आजादी ते।
पंछी पंछी ये बोल रहे।।

सब ठीक तो हैं..
यही पशु ते पंछी पूछ रहे...

एक पल ना सुन्ना छोड़ा जिसको।
क्यू छोड़ हमें सुनसान गए।।
धरती भी ये बोल रही।
किथो सारे किसान गए।।

सब ठीक तो है..
यही पशु ते पंछी पूछ रहे...

की हुआ इस धरती ते।
जग लगे सोया सोया वे।।
इतनी चुप्पी देख बाहर नु।
मेरा तो दिल रोया वे।।

यही पशु ते पंछी बोल रहे।
हमे करदो माफ वे रब्बा।।
सब सुख होवे जहां में।
इतनी सी है अरदास वे रब्बा ।।

सब ठीक तो है..
यही पशु ते पंछी पूछ रहे...!



Written by : PRADEEP VERMA

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