ये कैसे नियम, कैसा रीति रिवाज हैं,
एक बाप अपनी उम्र भर की पूंजी, हम देने को तैयार हैं।
फिर भी वो बाप अपनी पगड़ी परों में रखने को तैयार हैं,
क्या फिर भी एक लड़की का बाप इन सब का हकदार हैं...।
आज वो बाप कितना हताश हैं,
दहेज की मांग पूरा करने के लिए।
वो बाप अपना घर - बार सब बेचने को तैयार हैं,
क्यों दहेज देने के लिए एक लड़की का बाप जिम्मेदार हैं।
वो बाप आज कितना लाचार हैं,
जो अपने कलेजे का टुकड़ा अपनी बेटी देने को तैयार हैं।
क्यों दबे वो बाप कर्ज के नीचे,
क्या एक बेटी का बाप इन सब का ही हकदार हैं।
क्या उस बाप को ये एहसास हैं,
वो दहेज के लालची उस मासूम लड़की को जलाने को तैयार हैं।
सब कुछ तो दे दिया उस बाप ने उम्र भर की जमा पूंजी,
क्या वो बेटी सच में इन सब की हकदार हैं।
एक बाप की यही पुकार है
वो अपने आप को बोझ के नीचे दबाने को भी तैयार हैं
जिससे ना हो परेशान बेटी उसकी
क्या एक बेटी इन सब की हकदार हैं।
Written by : PRADEEP VERMA

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