थलापति विजय इन दिनों अपनी फिल्म ' LEO ' की शूटिंग में व्यस्त है। साथ ही विजय की अगली फिल्म ' थलापति68 ' पर भी काम चल रहा है। विजय की 68वीं से जुड़ी अभी कुछ खबरे सामने आई हैं। इन खबरों की पुष्टि खुद थलापति विजय ने की है। आइए विस्तार से जानते हैं विजय की अगली फिल्म 'थलापति68' के बारे में। थलापति विजय के फैन उनकी फिल्म ' LEO ' का तो बेसब्री से इंतजार कर ही रहे थे। इतने में ही विजय ने अपनी अगली फिल्म की जानकारी अपने ट्विटर अकाउंट से दे दी। विजय ने अपनी अगली फिल्म ' थलापति68 ' से जुड़ा एक वीडियो शेयर किया है। जिसमे उन्होंने अपनी अगली फिल्म के निर्देशक और संगीत निर्माता की जानकारी दी है। कौन करेगा 'थलापति68' को डायरेक्ट। थलापति विजय अपनी फिल्म ' LEO ' के बाद अगली फिल्म ' वेंकट प्रभु ' के साथ करेंगे। इसकी जानकारी विजय ने खुद अपने सोशल मीडिया अकाउंट से दी है। उन्होंने वीडियो शेयर करके बताया, कि उनकी अगली फ़िल्म को 'वेंकट प्रभु' डायरेक्ट करने वाले है। इसके अलावा इस फिल्म में युवान शंकर राजा म्यूजिक देने वाले है, इसकी जा...
होली रंगों का त्यौहार होती है और अपने साथ खुशियों के रंग लाकर हमारी जिंदगी में भर देती है। लेकिन होली का ये त्यौहार दक्षिण भारत में उतना लोकप्रिय नहीं है जितना उत्तर भारत में है। ऐसा नहीं है की रंगों के इस त्योहार होली को सिर्फ उत्तर भारत में ही मनाया जाता है। बल्कि इस त्यौहार को देश के हर हिस्से में मनाया जाता है लेकिन अलग अलग नामों से। तो आइए आपको बताते है की दक्षिणी भारत के अलग अलग राज्यों में इस त्योहार को किस नाम से और कैसे मनाते है।
• असम
असम भारत के पूर्वी भाग में स्थित है, और रंगो के इस त्योहार होली को इस राज्य में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता हैं। असम राज्य में होली के त्योहार को फगवा के नाम से जाना जाता हैं। यहां इस त्योहार को 2 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन होलिका पूजन और होली की कथा सुनाई जाती है, और दूसरे दिन रंगो वाली होली खेली जाती है।
• मणिपुर
मणिपुर राज्य में भी इस त्यौहार को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है यहां होली के इस त्यौहार को याओसंग के नाम से जाना जाता है और इसे पूरे 6 दिन तक मनाया जाता हैं। यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन शुरू हो जाता है और उस रात लोग घास फूस की झोपड़ी आदि बनाते है और फिर उसमे आग लगा देते है। उसके बाद पूरे 6 दिन तक राधा कृष्ण झांकी और नृत्य चलता है, जिसमें सबसे ज्यादा आकर्षण का कारण वहां का थाबाल चोंगबा नृत्य होता है जिसे वहां के स्थानीय लोगों मिलकर करते है। अपनी परंपराओं को जीवित रखने और आपसी प्रेम भाव बढ़ाने के लिए मणिपुर के हिंदू इस दिन रंगो से भी खेलते है।
• पश्चिम बंगाल
बंगाल में भी होली के इस त्योहार को बड़े प्यार और हर्षोल्लास के साथ बनते है। बंगाल में होली के इस त्योहार को बसंत उत्सव के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन वहां पर अलग ही रौनक देखने को मिलती है। वहां की औरतें इस दिन पारंपरिक साड़ी पहनती है और राधा कृष्ण की पूजा करती है। दूसरी ओर पुरुष सड़को पर ढोल जात्रा निकलते है जो यहां आकर्षण का मुख्य हिस्सा होता है। मस्ती के लिए लोग यहां रंगो से भी खेलते हैं।
• बिहार
बिहार के लोग भी होली के त्यौहार को बड़ी ही उमंगता से मनाते है। बिहार में इस त्योहार को अपनी भोजपुरी बोली में फगुआ के नाम से जाना जाता है यहां के लोग भी एक दिन पहले पूरे रीति रिवाजों से होलिका की पूजा ओर होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन इस त्योहार को बड़ी धूम धाम से रंगों वाली होली खेली जाती है
• केरल
दक्षिण भारत के हिस्सों में होली का त्यौहार उतना लोकप्रिय नही है जितना उत्तर भारत के हिस्सों में है। लेकिन वहां के कई हिस्सों में भी होली के इस त्यौहार को बड़ी ही धूम धाम और उल्लास के मनाया जाता हैं। दक्षिण भारत के एक हिस्से केरल में होली को मंजल कुली के नाम से जाना जाता है। यहां इस त्योहार के दिन मंदिर में पूजा की जाती है। यह पूजा केरल के एक मंदिर गोसारीपुरम थिरुमाला के कोंकण मंदिर में की जाती है।
उम्मीद है आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। इस लेख में आपने पढ़ा की भारत देश के अलग अलग राज्यों में होली के त्यौहार को कैसे मनाया जाता हैं और किसी नाम से इस त्यौहार को जाना जाता हैं। इस लेख में दी गई जानकारी को हमने पुस्तकों और इंटरनेट से प्राप्त की है।

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